यूक्रेन रूस युद्ध से कोयले के दामों में भी लगातार वृद्धि देखने को मिल रही है। देखा जाए तो पिछले 15 दिनों में कोयले की कीमतों में 35 से 40 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। जिससे दक्षिण गुजरात टेक्सटाइल प्रोसेसर्स एसोसिएशन ने मिल मालिकों के साथ जॉब चार्ज बढ़ाने के लिए बैठक का भी आयोजन कर लिया है।
यूक्रेन और रूस में युद्ध की स्थिति अब सूरत में प्रोसेसिंग मिलों को प्रभावित कर रही है। पिछले साल मार्च-फरवरी में एक टन कोयले की कीमत 4,000 रुपये से 6,000 रुपये थी। उसके बाद कोयले की कीमत 12 हजार रुपए प्रति टन पर पहुंच गई। दिवाली के बाद एक बार फिर कोयले की कीमतों में गिरावट आई है।

लेकिन रूस और यूक्रेन में युद्ध की स्थिति के कारण जहाज नहीं मिल रहे हैं जिसके कारण परिवहन शुल्क में वृद्धि हुई है। वहीं कपड़ा बाजार में अब तक काम कम हुआ है इसलिए कोयले की मांग ज्यादा नहीं रही है। अब मांग बढ़ गई है और कोयले का आयात घट रहा है जिससे कोयले की कीमत 6 से 8 हजार से बढ़कर 12 हजार रुपये हो गई है। इसलिए अब साउथ गुजरात टेक्सटाइल प्रोसेसिंग एसोसिएशन मिल मालिकों से बात करेगा और जॉब चार्ज को कम से कम 10 फीसदी बढ़ाने का फैसला करेगा।
इसी बारे में जानकारी देते हुए SGTPA के प्रमुख जीतेन्द्र वखारिया ने बताया कि रूस और यूक्रेन का युद्ध कब तक चलेगा इसके बारे में बताना मुश्किल है ऐसे में कोयले के भाव आगे भी बढ़ने की पूरी संभावना है। इसलिए हमने जॉब चार्ज में 10 फीसदी वृद्धि करने की बात मील मालिकों के सामने रखी है जो कि आने वाली मीटिंग में इसका निर्णय लिया जाएगा।