कोयले की बढ़ती कीमतों के कारण सूरत के पांडेसरा में डाइंग प्रोसेसिंग इकाइयों की हालत खराब हो गई है। 10-12 दिनों में कोयले के दाम 34 फीसदी बढ़े हैं। 7550 रुपये की कीमत आज बढ़कर 10,150 रुपये हो गई है। कपड़ा उद्योग, विशेष रूप से डाइंग प्रोसेसिंग उद्योगों के लिए संचालन को बनाए रखना मंदी के इन दिनों में और अधिक कठिन हो गया है।
एक तरफ मंदी की मार पड़ रही है तो दूसरी तरफ कोयले की कीमतों में हो रही भयावह बढ़ोतरी से हालात और खराब हो रहे हैं। फिलहाल कोयले की कोई कमी नहीं है। उत्पादन भी काफी हो रहा है। हालांकि कोयले की कीमतें बढ़ रही हैं। इसे रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध का अप्रत्यक्ष प्रभाव माना जा सकता है। कोयले की मौजूदा कीमत वृद्धि में व्यापारियों के लिए भी एडवांस पेमेंट की शर्त है। कई डाइंग प्रोसेसिंग इकाइयों ने कोयले की बढ़ती कीमतों के कारण 5 से 10 प्रतिशत का जॉब चार्ज लागू किया है।

प्रोसेसिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष जितेंद्र वखारिया ने कहा कि शहर में करीब 409 मिलें हैं और पूरे उद्योग में कोयले की दैनिक खपत औसतन 15-16 हजार टन है। खपत थोड़ी कम है क्योंकि सप्ताह में दो-तीन छुट्टियां होती हैं और कुछ मिलें बंद रहती हैं। इससे पहले जून में कोयले की कीमत 60 फीसदी बढ़कर 8,500 रुपये प्रति टन हो गई थी। इसने मिल मालिकों को दिवाली के दौरान डाइंग प्रोसेसिंग के लिए जॉब चार्ज में 20 प्रतिशत की वृद्धि करने के लिए मजबूर किया।