इस वर्ष होलिका दहन पर सूरत शहर में इकोफ्रैंडली होलिका दहन मनाने की तैयारियां शुरू हो गई है। इस वर्ष 17 मार्च को होलिका दहन का पर्व मनाया जाने वाला है। जिसमे दहन के लिए लकड़ियों की जगह गाय के गोबर से बने उपलों का उपयोग किया जाने वाला है। जिससे प्रदुषण का खतरा भी नहीं होगा बल्कि वातावरण में भी शुद्धता फैलेगी।

इस वर्ष होलिका दहन का पर्व सूरत वासी इकोफ्रैंडली तरीके से मानाने वाले है। कोरोना काल के बाद ये पहली होली है जिस लोग धूम धाम से मानाने वाले है। साथ ही कोरोना जैसे खतरनाक वायरस के कारण लोगो में स्वस्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ गई है। जिसके बाद अब इस होलिका दहन पर लोग लकड़ियों के बदले गाय के गोबर से बने उपलों का उपयोग करने वाले है जिससे न ही प्रदुषण होगा न ही वातावरण को की नुकसान होगा बल्कि इससे वातावरण में शुद्धता फैलेगी। ।
आर एस एस गौ सेवा गतिविधि सूरत महानगर संयोजक रामपाल गाड़ोदिया ने बताया कि इस वर्ष सूरत में होलिका दहन के लिए लोग गाय के गोबर के बने उपलों का उपयोग कर रहें है। इससे गौशालाओं को प्रोत्साहन मिलेगा और साथ ही उपले बनाने वाले लोगो को भी रोजग़ारी मिलेगी। इससे वातावरण को फायदा तो होगा ही। सूरत में 700 से 800 जगहों पर इसका लकड़ियों की जगह गाय के गोबर से बने उपलों का उपयोग होगा।