एक तरफ जब हजीरा के औद्योगिक क्षेत्र में काम कर रही बहुराष्ट्रीय कंपनियां रोजगार मेलों में निवासियों को रोजगार देने का वादा करती हैं, वही दसूरी तरफ राज्य सरकार के रोजगार कार्यालय में हजीरा में विशाल उद्योगों में स्थानीय लोगों के बारे में जानकारी नहीं है। सूरत रोजगार कार्यालय ने बुधवार को किसानों और सहकारी क्षेत्र के नेता दर्शन नायक द्वारा दायर सूचना के अधिकार (RTI) में यह खुलासा किया है।
अपने RTI आवेदन में, नायक ने सूरत और हजीरा से निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों में कार्यरत स्थानीय लोगों की संख्या के बारे में जानकारी मांगी, जिनमें हजीरा में स्थित गेल, ओएनजीसी, कृभको, एनटीपीसी, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, एस्सार, अदानी, जीएसईजी आदि शामिल हैं।

गुजरात सरकार के 31 मार्च, 1995 के रिज़ोलुशन के अनुसार, राज्य सरकार के सभी उपक्रमों में कर्मचारियों, श्रमिकों और कारीगरों के संवर्ग में पदों पर न्यूनतम 85% भर्ती और प्रबंधकीय और पर्यवेक्षी पदों पर न्यूनतम 60% भर्ती के रूप में साथ ही राज्य में स्थित राज्य सरकार द्वारा प्रोत्साहन के साथ प्रदान किए जा रहे उद्योगों को स्थानीय निवासियों में से बनाया जाना चाहिए। साथ ही, केंद्र सरकार के गैर-प्रोत्साहन उद्योगों और सार्वजनिक क्षेत्रों में क्रमशः न्यूनतम 85% और 60% भर्ती की जाए।
किसान और सहकारी नेता, दर्शन नायक ने कहा, “ये शर्म कि बात है कि राज्य सरकार के रोजगार कार्यालय की ओर से विशाल निजी और सार्वजनिक क्षेत्र हजीरा में स्थानीय निवासियों की भर्ती की जानकारी नहीं है। गुजरात सरकार के 31 मार्च, 1995 के रिज़ोलुशन के बावजूद ये हाल है जो कि बेहद निराशाजनक है।”
नायक ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि हजीरा में चल रही बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर सरकारी अधिकारियों का कोई नियंत्रण नहीं है। हजीरा में पढ़े-लिखे युवाओं को उद्योगों में रोजगार नहीं मिल रहा है और उन्हें निजी कंपनियों में छोटे-मोटे काम करने पड़ रहे हैं या अपना खुद का व्यवसाय शुरू करना पड़ रहा है। राज्य सरकार से मेरा विनम्र अनुरोध है कि 1995 में पारित अपने प्रस्ताव को सख्ती से लागू किया जाए।’