रामायण प्रचार समिति सूरत द्वारा गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरितमानस नवाह्न पारायण पाठ का आयोजन पर्वत पाटिया शुभम् हाईट्स के पास स्थित नरेन्द्र पंचासरा परिसर में जोर-शोर से चल रहा है। जिसमें नित्य क्रम से मानस की चौपाइयों का संगीतमय गायन होता है।

समिति के चन्द्रकिशोर झँवर ने बताया कि आज शुक्रवार को किष्किन्धाकाण्ड एवं सुन्दरकाण्ड की चौपाइयों का गायन हुआ। आज के प्रसंग में भगवान ने बड़े प्रेम से शबरी मां के जूठे बैर खाये, बाली के माध्यम से भगवान ने बताया कि जो हमारी बहन बेटियों पर कुदृष्टि डालते हैं, उनका वध करने से कुछ भी पाप नहीं लगता है। जामवंत जी ने हनुमान जी का उत्साह बढ़ाया।

जिमि अमोघ रघुपति कर बाना।।
एही भाँति चलेउ हनुमाना।।
हनुमान जी ने छलांग लगाई और लंका पहुंच गए।
बीच में नाग माता सुरसा ने हनुमान जी की परिक्षा ली।
अशोक वाटिका में सीताजी एवं हनुमान जी की जीवंत झांकी सजाई गई, जहां हनुमान जी ने माता सीता को मुद्रिका दी तथा सीताजी ने हनुमान जी को अजर अमर होने का आशीर्वाद दिया। विभीषण जी भगवान राम की शरण में आ गए। भगवान ने रामेश्वरम शिवलिंग की स्थापना की। नल नील के माध्यम से समुद्र पर पुल बना दिया , सेना सहित भगवान समुद्र पार कर लंका पहुंच गए। आज राम रावण युद्ध की चौपाइयों का गायन होगा।