पिछले डेढ़ साल से कोयले के दाम में लगातार वृद्धि होने के कारण अब प्रोसेसर्स दूसरे रास्ते ढूंढ़ने के लिए मजबूर हो चुके है। जिसके कारण अब टेक्सटाइल प्रोसेसर अब खुद ही कोयले का आयात करेंगे। इसके लिए कृभको बंदरगाह से भी मंजूरी मिल चुकी है। जल्द ही आयात शुरू हो जाएगा। कीमतें बढ़ने के साथ इकाइयाँ भी जॉब चार्ज बढ़ा रही हैं।
सूरत में आयात के एकाधिकार के कारण प्रोसेसर को अतिरिक्त भुगतान करना पड़ता है। इसलिए अब प्रोसेसिंग एसोसिएशन ने कोयला सस्ता मिले इसके कृभको बंदरगाह से कोयला आयात करने की योजना बनाई है। जिसे जल्द ही लॉन्च किया जाएगा। हालांकि, यह कोयला केवल प्रोसेसिंग एसोसिएशन के सदस्यों के लिए उपलब्ध होगा।

शहर में 350 से ज्यादा प्रोसेसिंग यूनिट हैं। एक प्रोसेसिंग हाउस को प्रतिदिन औसतन 50 टन से अधिक कोयले की आवश्यकता होती है। यदि कृभको कंपनी के बंदरगाह से कोयला आयात किया जाता है, तो प्रत्येक प्रोसेसर को 1500 से 2000 रुपये प्रति टन कोयले का लाभ मिलेगा।

पांडेसरा जीआईडीसी के अध्यक्ष कमल तुलस्यान कहते हैं, ”प्रोसेसिंग के जॉब चार्ज में वृद्धि के बावजूद, प्रोसेसर्स की कठिनाई बढ़ रही है. अब हम प्रोसेसर के लिए कम कीमत पर कोयला प्राप्त करने की योजना बना रहे हैं। इससे प्रोसेसर को सस्ती दरों पर कोयला मिल सकेगा।’

साउथ गुजरात टेक्सटाइल प्रोसेसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष जितेंद्र वखारिया ने कहा कि पिछले दो वर्षों में कोयले की कीमतों में 204 प्रतिशत की तेजी से वृद्धि हुई है। जिससे कपड़े की कीमत बढ़ गई है। क्वालिटी के आधार पर कोयले की कीमतें 10,159 से 12,350 तक होती हैं। बाजार की तरलता को देखते हुए डीलर एडवांस के बदले सामान बेच रहे हैं। कैलरी की गुणवत्ता के आधार पर कोयले की कीमतें 800 रुपये बढ़कर 1,000 रुपये प्रति टन हो गई हैं। केमिकल और डाई की कीमतों में भी 8 से 15 फीसदी की तेजी आई है। इसलिए दूसरा रास्ते की खोज बेहद आवश्यक हो गई थी।